अहम ब्रह्मास्मि
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हम बहुत पढ़े लिखे है ,जानकार है, विभिन्न क्षेत्रो का अनुभव हमारे पास है. इस कारन जो भी दूसरा व्यक्ति हमने से बात करता है हमारी योग्यता के सामने हम उसे बौना मानते है और उससे जो व्यवहार करते है उसके कारण वह दुखी हो जाता है. हम एक विषय दो विषय अधिक से अधिक चार पांच विषयो के ज्ञाता हो सकते है. हर काम में कोई व्यक्ति माहिर नहीं है. अनेक व्यक्ति अनेक काम करते है वे उनके कामो के विशेषज्ञ होते है.संक्षेप में हर व्यक्ति का ज्ञान कही न कही समाज के लिए उपयोगी होता है. हम इस बात को भूल जाते है और इसीलिए किसी भी व्यक्ति के साथ हम अशोभनीय व्यवहार कर बैठते है. किसी के साथ अच्छा व्यवहार हमारी योग्यता काआईना है. छोटे से छोटे आदमी से हमारा व्यवहार शालीन होना चाहिए भले ही हम कितने बड़े पद पर क्यों न हो. पद तो चंचल है किन्तु व्यवहार सदा याद रहता है. मुझे इस सन्दर्भ में एक किस्सा याद आ रहा है. एक पंडित जी को अपने ज्ञान का बेहद अहंकार था उन्हें नदी पार करनी थी वे एक नौका में बैठ गए. नाविक उन्हें नदी पार कराने लगा, इस बीच पंडित जी ने नाविक से पूछा नाविक तुमने गीता पढ़ी नाविक ने कहा नहीं, पंडित जी उससे कहा तुम्हारा २५ प्रतिशत जीवन व्यर्थ गया ? नाविक को बुरा लगा. पंडित जी ने नाविक से पूछा तुमने रामायण पढ़ी है उसने कहा पंडित जी नहीं पढ़ी पंडित ने कहा तुम्हारा २५ % जीवन बेकार हो गया, नाविक ग्लानि से भर गया. पंडित जी कहा नाविक तुमने महाभारत सुनी नाविक का उत्तर नहीं में था पंडित जी ने कहा नाविक तुमने इस बहुमूल्य जीवन का ३/४ भाग का कोई उपयोग नहीं किया और यह जीवन प्रभु के काम नहीं आ सका । नाविक को लगा की पंडित जी सही कह रहे है ? पंडित जी ने फिर पूछा नाविक क्या तुमने ईश्वर की कभी पूजा नाविक ने कहा मै पेट और परिवार की चिंता करू या भगवान को पुजू ? पंडित जी ने कहा नाविक मरने के बाद तुम् भगवान को क्या जवाब दोगे ? नाविक ने कहा भगवान को जो जवाब देना है दे दूंगा, नाविक ने जल्दी से एक बात बता दीजिये आपको तैरना आता है. पंडित जी ने कहा नहीं तब नाविक ने कहा आगे तूफान आरहा है मै तो नाव से कूदकर अपनी जान बचा लूंगा आप अपनी जान की फ़िक्र करो ऐसा कहकर नाविक नाव से कूदकर नदी के उस पार चला गया वही पण्डित जी तूफान में फसकर अपनी जान गवा बैठे? यह घटना शिक्षा देती है की हमें हर व्यक्ति के गुणों की कदर करनी चाहिए चाहे वह कितना भी छोटा काम क्यों न कर रहा हो. प्रेम और सदाचरण व्यक्ति कभी नहीं भूलता है.
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हम बहुत पढ़े लिखे है ,जानकार है, विभिन्न क्षेत्रो का अनुभव हमारे पास है. इस कारन जो भी दूसरा व्यक्ति हमने से बात करता है हमारी योग्यता के सामने हम उसे बौना मानते है और उससे जो व्यवहार करते है उसके कारण वह दुखी हो जाता है. हम एक विषय दो विषय अधिक से अधिक चार पांच विषयो के ज्ञाता हो सकते है. हर काम में कोई व्यक्ति माहिर नहीं है. अनेक व्यक्ति अनेक काम करते है वे उनके कामो के विशेषज्ञ होते है.संक्षेप में हर व्यक्ति का ज्ञान कही न कही समाज के लिए उपयोगी होता है. हम इस बात को भूल जाते है और इसीलिए किसी भी व्यक्ति के साथ हम अशोभनीय व्यवहार कर बैठते है. किसी के साथ अच्छा व्यवहार हमारी योग्यता काआईना है. छोटे से छोटे आदमी से हमारा व्यवहार शालीन होना चाहिए भले ही हम कितने बड़े पद पर क्यों न हो. पद तो चंचल है किन्तु व्यवहार सदा याद रहता है. मुझे इस सन्दर्भ में एक किस्सा याद आ रहा है. एक पंडित जी को अपने ज्ञान का बेहद अहंकार था उन्हें नदी पार करनी थी वे एक नौका में बैठ गए. नाविक उन्हें नदी पार कराने लगा, इस बीच पंडित जी ने नाविक से पूछा नाविक तुमने गीता पढ़ी नाविक ने कहा नहीं, पंडित जी उससे कहा तुम्हारा २५ प्रतिशत जीवन व्यर्थ गया ? नाविक को बुरा लगा. पंडित जी ने नाविक से पूछा तुमने रामायण पढ़ी है उसने कहा पंडित जी नहीं पढ़ी पंडित ने कहा तुम्हारा २५ % जीवन बेकार हो गया, नाविक ग्लानि से भर गया. पंडित जी कहा नाविक तुमने महाभारत सुनी नाविक का उत्तर नहीं में था पंडित जी ने कहा नाविक तुमने इस बहुमूल्य जीवन का ३/४ भाग का कोई उपयोग नहीं किया और यह जीवन प्रभु के काम नहीं आ सका । नाविक को लगा की पंडित जी सही कह रहे है ? पंडित जी ने फिर पूछा नाविक क्या तुमने ईश्वर की कभी पूजा नाविक ने कहा मै पेट और परिवार की चिंता करू या भगवान को पुजू ? पंडित जी ने कहा नाविक मरने के बाद तुम् भगवान को क्या जवाब दोगे ? नाविक ने कहा भगवान को जो जवाब देना है दे दूंगा, नाविक ने जल्दी से एक बात बता दीजिये आपको तैरना आता है. पंडित जी ने कहा नहीं तब नाविक ने कहा आगे तूफान आरहा है मै तो नाव से कूदकर अपनी जान बचा लूंगा आप अपनी जान की फ़िक्र करो ऐसा कहकर नाविक नाव से कूदकर नदी के उस पार चला गया वही पण्डित जी तूफान में फसकर अपनी जान गवा बैठे? यह घटना शिक्षा देती है की हमें हर व्यक्ति के गुणों की कदर करनी चाहिए चाहे वह कितना भी छोटा काम क्यों न कर रहा हो. प्रेम और सदाचरण व्यक्ति कभी नहीं भूलता है.