Thursday 5 March 2015

पुन्य भी अर्जित कर सकती है. -----------------------------

पुन्य भी अर्जित कर सकती है.
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यह देश भी अजीब है, जिनके पेट भरे हो उन्हें देश के गरीब व्यक्ति के भोजन से बहुत कम दर पर भोजन मिलता है. ये वे ही याचक है जो मत के लिए इन गरीब और मध्यम वर्गों के लोगो से मत की याचना करते है. ये याचक आज दाता है और देने वाला याचक बन गया है. समय पता नहीं किसको कहा और किसको कहा पहुचाता है. वास्तव में जो सीधे लकीर के साथ चलता है और अंत में बीच लकीर में ही दम तोड़ देता है. टेढ़े मेढ़े रास्ते से चलने वाला शिखर पर पहुच जाता है. यह भी सही नहीं है कि इनका यह रास्ता उतना सुगम नहीं होता. जितना ये सोचते है. जो घुमावदार रास्ते से चलता है निश्चित है कि उन्हें यह सब भुगतना ही पड़ेगा? शार्ट कट का हमेशा यही हश्र देखा गया है , किन्तु यह भी सत्य है कि इनका यह संघर्ष बीतने के बाद ये राजा हो जाते है . सारी सुख सुविधा इनके कदमो में होती है. सस्ता खाना, सस्ती यात्रा और राजा जैसा व्यवहार केवल इनके नसीब में होता है. आश्चर्य की बात यह है कि ये सारी सुविधा उनके जेब से दी जाती है जिनके पास ये कभी मतों का भीख मांगने जाते है. सीधी रेखा में चलने वाला हर किसी पर विश्वास कर लेता है. कभी मकान देकर तो कभी फुकट में तीर्थ यात्रा कराकर अगले चुनाव् के समय कही बहके नहीं,के लिए कसरत करते रहते है . क्या अच्छा होता कि देश के प्रधान मंत्री ने जिस केन्टीन में 29 रुपयों में भोजन किया ऐसी ही केन्टीन का खाना देश का हर वर्ग खा सके. यह असंभव भी नहीं है. राज्य शासन अपनी अन्य संस्थाओ के साथ मिलकर ऐसा कर सकती है. जब फुकट में मकान और तीर्थ यात्रा करायी जा सकती है तब कम दर पर भोजन कराकर पुन्य भी अर्जित कर सकती है.