Friday 27 August 2021

क्या हम एलोपेथी को गालियाँ देते रहेंगे

 क्या हम एलोपेथी को गालियाँ देते रहेंगे

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यु ट्यूब पर ज्ञानियों की भरमार है। कल मैं पेट सबंधी रोगों के बारे में अनेक डॉक्टरों और बाबा रामदेव के विडिओ देख रहा था। इस वीडियो में सभी एक बात कह रहे थे, खाने को 32 बार चबाओ और खाने के एक घंटे बाद पानी घुट घुट पीने से पेट रोगरहित रहता है, आयुर्वेद के ग्रंथों में लिखा हुआ ही इनके विडिओ में बताया जाता है, कोई नये तथ्य से अवगत नही कराया जाता है, आज के इस युग मे 32 बार चबाकर खाना खाने और घूंट घूंट पानी पीने का समय किसी के पास नह है इस स्थिति में क्या वह पेट का रोगी ही रहेगा, एलोपैथी से पेट को नीरोगी बना लेगा, उस समय के ऋषि मुनियों ने पेट निरोगी कैसे रखा जाए इस पर निश्चित शोध किया होगा और शोध के निष्कर्ष के आधार पर उनके तथ्यों को ग्रंथ में जगह मिली होगी, आज भी देश भी बड़े बड़े आयुर्वेदाचार्य और विशेषज्ञ जैसे बाबा रामदेव, तांबे, अहमदाबाद के कस्तुरे है, ये विद्वान शोध कर यह खोज सकते है कि क्या 32 बार खाना चबाने और घूंट घूंट पानी के सिवाय अन्य कोई विकल्प हो सकते जिससे पेट निरोगी रहे, एलोपैथी में रोज शोध हो रहे है, इस कारण एक रोग की कई दवा उपलब्ध है, और यही कारण हैं यह पेथी आज प्रासंगिक और तुरंत निदान में सहायक हैं, चरक या पतञ्जलि के तथ्यो और एलोपेथी  को गाली देने के बजाय आयुर्वेद पर शोध कर  मरीजो को लाभान्वित किया जाए।

वाकिंग

 वाकिंग

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आज हम किसी भी बीमारी के इलाज के लिए जाए तो डॉक्टर पैदल चलने की सलाह देते है, चलना सुबह,दोपहर, शाम कभी भी हो सकता है, किन्तु सुबह का चलना अन्य सभी चलनो से लाभकारी है, क्योकि इसमे उगते सूरज का प्रकाश वाकिंग करने वाले को मिलता है, सुबह के समय सूर्य प्रकाश में विटामिन D की मात्रा अधिक होती है, इससे रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है साथ ही विटामिन डी की कमी नही रहती, छोटे बच्चों को लगभग आधा घंटा सुबह के सूर्य प्रकाश में घुमाने की सलाह डॉक्टर आजकल दे रहे है, शायद बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए हो, हमारे बच्चों कीके पीढ़ी पैदल चलने से बेहद कतराते है, 50 कदम भी दूर जाना है तो इसके लिए बाइक का उपयोग करते है, ग्रामीण क्षेत्रों मे किसान अपने खेतों में जाने के लिए बाइक का उपयोग करते है, एक अध्ययन के अनुसार 1966 में 66% बच्चे पैदल चलते थे किंतु आज यह संख्या घटकर 12% रह गयी है, यही कारण है कि हमारी अगली पीढ़ी पैदल चलने से दूरी बना रहे है, मोटापा, वजन का बढ़ना, सुगर की बीमारी होना आजकल बहुत बढ़ रहा है, नियमित 10000 कदम चलने से इन बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, पैदल चलने के अनेक फायदे है, जिसे सब जानते है, हमारी पीढ़ी ने हमेशा पैदल चला है और आज भी पैदल चलने का कोई मौका नही छोड़ते चिंता हमारे आने वाली पीढ़ी की है, उन्हें इस गतिविधि  से कैसे जोड़ा जाए?

Sunday 4 July 2021

कुपोषण

 कुपोषण

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मप्र में अभी 70 साल के स्वतंत्रता के बाद भी एक जानकारी के अनुसार लगभग 4 लाख बच्चे अभी भी कुपोषित है,ये हमारे नोनिहाल है कल देश की बागडौर इनके हाथ मे आसकती है इसकारण इन्हें इस स्थिति से निकालना सरकार का दायित्व है, मप्र में ग़रीबो के भोजन के अनाज देने की व्यवस्था है, प्रदेश में अनेक आंगनबाड़ीया हैं, जिसमे दर्ज बच्चों को संतुलित भोजन देने की व्यवस्था सरकार ने की है, इसके बाद कुपोषित बच्चों की आश्चर्य में डालने वाली है, इस संख्या को देखते हुए लगता नही है की आंगनबाड़ी और सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनाज में कही तो कोई गफलत है, या तो ऐसे परिवारो को सरकार की योजना का या तो लाभ नही मिल रहा है या आँगनवाड़ी का संतुलित आहार केवल एक दिखावा है, मुझे लगता है, ऐसे परिवार सरकार की योजना से या तो छूट गए है या छोड़ दिये गए है, सरकार को चाहिए कि ऐसे बच्चों के लिए अभियान चलाकर इन कुपोषण से बाहर निकाले, तंत्र इस अभियान में कितनी रुचि लेता है इसे भी देखना होगा क्योंकि इस अभियान में कोई मलाई नही है,