Tuesday 22 August 2017

अपने बहनों और बेटियों की सुरक्षा 
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आज सर्वोच्च न्यायालय ने एतिहासिक निर्णय सुनाया यह निर्णय एक विशेष समुदाय के महिलाओ के लिए था. इस निर्णय से इस वर्ग की महिलाये सुरक्षित हो गयी. महिलाये किसी भी वर्ग की हो हमारी संकृति उनका सम्मान करती है क्यों कि यही हमारे संस्कार में है. इस निर्णय को सभी धर्मो के लोगो ने सराहा केवल जिस वर्ग के विपरीत यह निर्णय है, उस समुदाय के अधिकांश लोगो ने इसे नही माना और उनके धर्म में इस निर्णय को न्यायालय का हस्तक्षेप माना, उनके नहीं मानने के फैसले से मेरे मन में यह प्रश्न उठा कि क्या यह निर्णय इनकी बहनों और लडकियों के पक्ष में नहीं है? मुझे यह भी लगा कि क्यों इन्हें अपनी बहन और बेटियों की चिंता क्यों नहीं है. अक्सर सभी समुदाय के लोग अपने बेटे या बेटियों के लिए मेहनत करते है यह कौम इन्हें अपनी विरासत से क्यों दूर रख रहा है. इस समुदाय राजे रजवाड़े में सता का हस्तांतरण बिना हिंसा के नहीं हुआ. माना कि इस समुदाय के लोग गरीब और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है. केवल मदरसों के बल पर यह समुदाय देश की चिंता की मुख्य धारा में नहीं आ पायेगा. इन्हें अपनी कटरता छोडनी होगी और अपने बेटे बेटियों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा के लिए ज्यादा ध्यान देना होगा तब ही यह समुदाय अपना कल्याण कर सकेगा.

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